भगवान क्यों नही दिखाई देते है ?

                               
                     

               मैं यहा पर कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हुं। 

   

सुर्य पृथ्वी से कितना गुना बड़ा है , पर बहुत दनर होने के कारण वह सिर्फ एक थाली के समान प्रतीत होता ह , इसी प्रकार भगवान भी अंनत है , परन्तु हम उनसे बहुत दुर होने के कारण उनकी यथार्थ महिमा को समझ  नही पाते है ।

तालाब का पानी घास-पतियो से ढका रहने के कारण उसमे खेलती मछलिया दिखाई नही देती है , इसी प्रकार मनुष्य की दृष्टी मायारूपी घास से ढकी हुई है , इसी मनुष्य श्रीहरि (भगवान) के दर्शन नही कर पाता है ।

अंधेरे मे गश्त लगाने वाले चौकीदार अपनी लालटेन के उजाले से सबको देख लेता है , लेकीन उसको कोई नही देख पाता है , अगर वह स्वंय लालटेन का प्रकाश अपने पर डाले तो ही उसे देखा जा सकता है । इसी प्रकार भगवान भी सबको देखते है पर उनको कोई देख नही पाता है , अगर वे कृपा करके स्वयं को प्रकाशित करे तो ही उन्हे देखा जा सकता है ।

आनंदमयी जननी को हम क्यों नही देख पाते ?
वे बडे़ घर की स्त्रियो की तरह चिक की ओट मे रहती है । उनके संतानरूपी भक्तगण मायारूपी चिक के भीतर जाकर ही उनके दर्शन कर सकते है ।

मुझे आशा है की आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी  । 

रामकृष्ण परमहंस जी द्वारा दिएे गये उदाहरण 


                                          धन्यवाद 

                                                                   लेखक    -  बालयोगी

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