मैं यहा पर कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हुं।
तालाब का पानी घास-पतियो से ढका रहने के कारण उसमे खेलती मछलिया दिखाई नही देती है , इसी प्रकार मनुष्य की दृष्टी मायारूपी घास से ढकी हुई है , इसी मनुष्य श्रीहरि (भगवान) के दर्शन नही कर पाता है ।
अंधेरे मे गश्त लगाने वाले चौकीदार अपनी लालटेन के उजाले से सबको देख लेता है , लेकीन उसको कोई नही देख पाता है , अगर वह स्वंय लालटेन का प्रकाश अपने पर डाले तो ही उसे देखा जा सकता है । इसी प्रकार भगवान भी सबको देखते है पर उनको कोई देख नही पाता है , अगर वे कृपा करके स्वयं को प्रकाशित करे तो ही उन्हे देखा जा सकता है ।
आनंदमयी जननी को हम क्यों नही देख पाते ?
वे बडे़ घर की स्त्रियो की तरह चिक की ओट मे रहती है । उनके संतानरूपी भक्तगण मायारूपी चिक के भीतर जाकर ही उनके दर्शन कर सकते है ।
मुझे आशा है की आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी ।
रामकृष्ण परमहंस जी द्वारा दिएे गये उदाहरण
धन्यवाद
लेखक - बालयोगी
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