भारत के महान संत व कवि : संत तिरूवल्लुवर जी व उनके विचार

        संत तिरूवल्लुवर जी का जीवन परिचय 


संत तिरूवल्लुवर का नाम तमिल साहित्य मे अमर है , संत तिरूवल्लुर ने अपनी मधुर वाणी से तमिल वेद 'कुरल'की रचना की । वे संत कबीर के आदी संस्करण थे ।


जीवन परिचय

 -  संत तिरूवल्लुर का जन्म मद्रास के मैलापुर मे हुआ था । उनका जन्म एक शुद्र परिवार मे हुआ था पर वे कर्म से बड़े दिव्य थे । ऐसा कहा जाता है की उनके पिता ब्राह्मण थी और माता अछुत थी । संत तिरूवल्लुर एक ग्रहस्थ संत थे उन्होने वल्लाहमहिला वासुकी से विवाह किया था । उनकी पत्नी बडी़ सती साध्वी व भगवद्भक्त थी । उन्होने संत तिरूवल्लुर के आध्यात्मिक जीवन वृध्दी मे अहम योगदान दिया । थोडे़ ही समय बाद उनकी पत्नी का देहांत हो गया । संत वल्लुवर अपने पत्नी के सतकर्मो पर सदैव मुग्ध रहते थे ।


संत तिरूवल्लुर उच्च कोटी के साधक थे । सहनशीलता उनके तपोमय जीवन की संजीवनी थी । उन्होने अपने समग्र जीवन को तपस्या की आग मे जला कर स्वर्ण कर दिया था । उन्होने स्वंय दुख सहे लेकीन भुलकर भी किसी को दुख नही दिया । जनता हमेशा सच्चाई और एकता का पाठ पढाते थे । इनका नाम भारत के महान कवि व महान संतो की श्रेणी मे आता है ।

संत तिरूवल्लुर के जीवन मे सत्य का बडा़ महत्व था । उन्होने अपने जीवन मे उदारता , परहित , सहनशीलता तथा सदाचार के भाव परिपुष्ट किये । वे भगवद प्रेम मे सदा मुग्ध रहते थे ।
MAHATMA JADBHARAT JI KA JEEVAN PRICHAYदेवर्षि नारद का जीवन परिचय

संत तिरूवल्लुर के विचार -


1. असत्य और अन्याय से कमाये गये धन का चाहे बडे़ से बडा़ लाभ क्यो ना हो उसका तत्क्षण त्याग कर देना चाहिए 

2. दुसरो की सेवा करना ही परमधर्म है 

3. आत्मनिंयत्रण सयंम से मानव स्वर्ग प्राप्त करता है व इसका अभाव उसे नरक मे झोक देता है । 

4. मन की दीनता ही परम दीनता है । ज्ञानी धन की कमी को दीनता नही मानते है ।

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